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________________ अध्याय 3 पाण्डुलिपि : प्रकार 'पाण्डुलिपि' शब्द का अर्थ-विस्तार हो जाने के कारण उसके अन्तर्गत 'पाण्डुलिपि' के अनेक प्रकार समाहित हो गये हैं । अनेक प्रकार के लिप्यासनों पर लिखित रचनाएँ, ग्रंथ, राज्यादेश, चिट्ठी-पत्री आदि अनेक प्रकार की पाण्डुलिपियाँ इसी में समावेशित हैं । इसलिए पाण्डुलिपिविज्ञान के सम्यक् ज्ञान हेतु उसके सभी प्रकार-भेदों से परिचित होना आवश्यक है। सामान्यत: उन्हें इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है - पांडुलिपि राजकीय लौकिक (गैर-राजकीय) ग्रंथ राज्यादेश चिट्ठी-पत्री कार्यालयी नत्थियाँ ग्रंथ अन्य राजकीय लौकिक (गैर-राजकीय) मोटे रूप से 'पाण्डुलिपि' के दो प्रकार ही मानते हैं - राजकीय क्षेत्र में राजा के द्वारा भी, राज्याश्रित भी रचनाएँ लिखी जाती रही हैं । इस प्रकार की सामग्री अभिलेखागारों में और शिलालेखादि की सामग्री 'राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालयों में सुरक्षित रखी जाती हैं । इनके अतिरिक्त लिप्यासन की दृष्टि से भी 'पाण्डुलिपि' के अनेक भेद किये जा सकते हैं - 1. 'पाण्डुलिपि : प्रकार' में प्रायः 'पाण्डुलिपिविज्ञान : डॉ. सत्येन्द्र' की सामग्री का उपयोग किया गया है। साभार। 88 सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002693
Book TitleSamanya Pandulipi Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirprasad Sharma
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2003
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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