________________
(7) लिपि एवं लिपिकर्ता का नाम एवं परिचय, यथा - गुरु-शिष्य परम्परा, वंश-परिचय, लिपिकर्ता का आश्रयदाता, प्रतिलिपि करने का अभिप्राय एवं प्रतिलिपि का स्वामित्व आदि।
(8) प्रत्येक अध्याय के अन्त की पुष्पिका
(9) रचना के आदि, मध्य एवं अन्त के अंश के उद्धरण भी प्रस्तुत करें। 8. पाण्डुलिपि ( हस्तलिखित ग्रंथ) - विवरण (रिपोर्ट) का प्रारूप ____ अब तक के अध्ययन से एक क्षेत्रीय अनुसंधानकर्ता को पाण्डुलिपियों की खोज के संदर्भ में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त हो जानी चाहिए। इन्हीं सम्पूर्ण जानकारियों को प्रारूप के रूप में निम्न प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है, जिसे टंकित या मुद्रित करवाकर क्षेत्रीय अनुसंधानकर्ता अपने साथ रख सकते हैं । इससे एक लाभ तो यह होगा कि अनुसंधान के कार्य में एकरूपता रहेगी तथा एकाधिक रिपोर्टों के प्रारूप से तुलनात्मक अध्ययन भी हो सकेगा। यहाँ यत्किंचित परिवर्तन के साथ काशी नागरी प्रचारिणी सभा के क्षेत्रीय अनुसंधानकर्ताओं द्वारा प्रयुक्त प्रारूप को प्रस्तुत कर रहे हैं -
विवरण (रिपोर्ट) का प्रारूप क्रमांक
पाण्डुलिपि का प्रकार - गुटका, पोथी आदि 1. पाण्डुलिपि का नाम 2. रचनाकार या कर्ता का नाम 3. रचनाकाल - या अनुमानित रचनाकाल 4. कुल पत्र संख्या - लिखित एवं कोरे 5. ग्रंथ का आकार - लम्बाई इंच x चौड़ाई इंच (सेण्टीमीटर में भी) 6. प्रति पृष्ठ पंक्ति संख्या - 7. प्रति पंक्ति अक्षर संख्या - 8. ग्रंथ का लिप्यासन - कागज, कपड़ा, चमड़ा, ताड़पत्र, भोजपत्र आदि 9. लिपि प्रकार - देवनागरी, कैथी, फारसी आदि 10. लिखावट - एक ही हाथ की या अनेक हाथों की 11. लिपिकर्ता - नाम, स्थान, लिप्यंकन-तिथि -
1. पाण्डुलिपिविज्ञान : डॉ. सत्येन्द्र, पृ. 89-90 ।
पाण्डुलिपि-प्राप्ति के प्रयत्न और क्षेत्रीय अनुसंधान
85
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org