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बहुतारएहि बहुएहि
[(बहु)-(तारअ) 3/2] (बहुअ) 3/2 (किं) 1/1 सवि
= असंख्य तारों से = असंख्य
क्या और
अव्यय
तेण
= उसके
विणा'
= बिना = जिसका
(त) 3/1 स अव्यय (ज) 6/1 स (पयास) 1/1 (लोअ) 7/1 (धवल) व 3/1 सक [(महा) वि-(महीवट्ठ) 2/1]
पयासो लोए धवलेइ महामहीवटुं 24.
= प्रकाश
= लोक में = सफेद करता है = विस्तृत भूमितल को
॥
॥
चंदस्स
= चन्द्रमा का
खओ
(चंद) 6/1 (खअ) 1/1 अव्यय
= क्षय
= नहीं
अव्यय
= किन्तु
तारयाण
(तारय) 6/2 (रिद्धि) 1/1
तारों का = वृद्धि
रिद्धी
.वि
अव्यय
= भी
. (त) 6/1 स
= उसकी
अव्यय
= नहीं = किन्तु
ताणं . .
गरुयाण
अव्यय (त) 6/2 स (गरुय) 6/2 वि [(चडण)-(पडण) 1/1] (इयर) 1/2 वि अव्यय
चडणपडणं
= उनकी = महान का = चढ़ना, गिरना = दूसरे = परन्तु
इयरा
उण
1.
'बिना' के योग में तृतीया, द्वितीया या पंचमी विभक्ति होती है।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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