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________________ निच्चपडिया [(निच्च) अ = हमेशा(पड) भृकृ 1/2] अव्यय ' = हमेशा, गिरे हुए = ही ... अव्यय = नहीं अव्यय = पादपूर्ति किसी के लिए + : देंति (क) 4/1 सवि अव्यय (दा) व 3/2 सक (धण) 2/1 (अन्न) 2/1 वि (दा) वकृ2/1 धणं अन्नं = देते हैं = धन = दूसरे को = देते हुए = भी । = तथा = रोकते हैं =रुपये-पैसे ... अव्यय निवारंति अत्था किं = क्या अव्यय (निवार) व 3/2 सक (अत्थ) 1/2 अव्यय [(किविण) वि-(त्थ) 1/2 वि] [(सत्थ)+ (अवत्था)] [(स-त्थ) वि-(अवत्था)] 1/1] (सुय) व 3/2 अक किविणत्था सत्थावत्था = कृपण-स्थित =अपने आप में स्थित दशा = सोते हैं = की तरह सुयंति अव्यय 26. निहणंति धणं धरणीयलम्मि (निहण) व 3/2 सक (धण) 2/1 (धरणीयल) 7/1 अव्यय (जाण) संकृ [(किविण) वि-(जण) 1/2] = गाड़ते हैं = धन को = भूमितल में = इस तरह = सोचकर = कृपण लोग इय जाणिऊण किविणजणा 88 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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