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________________ 18. . = दोनों सपक्खा तह (बे) 1/2 वि अव्यय (सपक्ख) 1/2 वि अव्यय (बे) 1/2 वि अव्यय (धवल) 1/2 'य' स्वार्थिक वि (वे) 1/2 वि अव्यय [(सरवर)-(णिवास) 1/2] • अव्यय = ही = पंखसहित = उसी तरह = दोनों = ही = धवल. धवलया, = दोनों. . . . सरवरणिवासा तह वि अव्यय = तालाब में निवास = तो भी = निश्चय ही = हंस और बतख का = समझा जाता है = भेद हंसबयाणं जाणिज्जइ अंतरं गरुयं [(हंस)-(बय) 6/2] (जाण) व कर्म 3/1 सक (अंतर) 1/1 (गरुय) 1/1 वि = महान 19. एक्केण = एक (के द्वारा) पासपरिट्ठिएण हंसेण = किनारे पर स्थित = हंस के द्वारा = होती है होइ (एक्क) 3/1 वि अव्यय [(पास)-(परिट्ठिअ) 3/1 वि] (हंस) 3/1 (हो) व 3/1 अक (जा) 1/1 सवि (सोहा) 1/1 (ता) 2/1 स (सरवर) 1/1 अव्यय (पाव) व 3/1 सक = जो सोहा = शोभा = उसे सरवरो = तालाब = नहीं = प्राप्त करता है पाव प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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