________________
सि
धवल
कि
(अस) व 2/1 अक (धवल) 8/1 (किं) 1/1 सवि (तुम्ह) 6/1 स [(खल) वि-(वायस) 6/2] (मज्झ) 7/1 अव्यय (हंस) 8/1 'य' स्वार्थिक
= हे धवल = क्या = तुम्हारा = दुष्ट कौओं के = मध्य में
खलवायसाण मज्झे
ता
हे हंस
हंसय
कत्थ
अव्यय
= कैसे
पडिओ
= फंसे हुए
(पड) भूकृ 1/1 (अस) व 2/1 अक
है
17.
हसो
- हंस
(हंस) 1/1 [(मसाण)-(मज्झ) 7/1] “(काअ) 1/1
मसाणमज्झे काओ
= मसाण के मध्य में
= कौआ
अव्यय
= यदि
वसई पंकयवणम्मि तह वि
(वस) व 3/1 अक [(पंकय)- (वण) 7/1]
= रहता है = कमल-समूह में = तो भी = निश्चय ही
अव्यय
अव्यय
हंसो
.
(हंस) 1/1 (हंस) 1/1 (काअ) 1/1 (काअ) 1/1
काओ
- कौआ
काओ
= कौआ
नि
अव्यय
चराओ
(वराअ) 1/1 वि
= बेचारा
___ अकर्मक क्रियाओं से बना भूकृ कर्तृवाच्य में भी प्रयुक्त होता है।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org