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________________ नियभुयविक्कमसारा थक्कंति [(निय) वि-(भुय)(विक्कम)-(सार) 5/1] (थक्क) व 3/2 अक [(कुल)+(उग्गया)] [(कुल)-(उग्गय) 1/2 वि] (सुहड) 1/2 = निज भुजाओं के पराक्रम बल से = स्थिर रहते हैं = उच्च कुलों में उत्पन्न = योद्धा कुलुग्गया . सुहडा. 15. = क्षीण होता है वियलइ धणं (वियल) व 3/1 अक (धण) 1/1 . .. - धन = नहीं अव्यय : माणं झिज्ज अंग आत्म-सम्मान = क्षीण होता है = शरीर न = नहीं (माण) 1/1 (झिज्ज) व 3/1 अक (अंग) 1/1 अव्यय (झिज्ज) व 3/1 अक (पयाव) 1/1 (रूव) 1/1 (चल) व 3/1 अक = क्षीण होता है झिज्जइ पयावो = प्रताप रूवं चलइ अव्यय = रूप = नष्ट होता है = नहीं = स्फूर्ति = स्वप्न में फुरणं सिविणे (फुरण) 1/1 (सिविण) 7/1 अव्यय मणंसिसत्थाणं [(मणंसि) वि-(सत्थ) 6/2] दृढ़ संकल्प वाले दल का 16. हंसो . (हंस) 1/1 (अस) व 2/1 अक [(महासर)- (मंडण) 1/1] (अस) व 2/1 अक महासरमंडणो महासागर के आभूषण धवलो (धवल) 1/1 . = विशुद्ध 82 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग-2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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