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13.
= अनुलग्न = हो
सि
= धर्म में = रहो
= अब
नरिंद
ओलग्गिओ (ओलग्ग) भूकृ 1/1
(अस) व 2/1 अक धम्मम्मि (धम्म) 7/1 होज्ज (हो) विधि 2/1 अक एण्हिं
अव्यय
(नरिंद) 8/1 वच्चामो (वच्च) व 1/2 सक आलिहियकुंजरस्स [(आलिहिय) भूकृ-(कुंजर) 6/1]
अव्यय (तुम्ह) 6/1 स (पहु) 8/1 (दाण) 1/1
= हे राजा = जाते हैं = चित्रित हाथी के
= तुम्हारी
.4
= हे प्रभो
= उदारता
अव्यय
= कभी
अव्यय
. 4
= नहीं = देखी गई
(दिट्ठ) भूकृ 1/1 अनि
.
(भग्ग) भूक 7/1 अनि
'भग्गे वि:
अव्यय
ब
= खण्डित होने पर = भी = युद्ध शक्ति के = घिरे हुए होने पर
वलिए'.
= भी
वि साहणे' सामिए' निरुच्छाहे'
(बल) 7/1 - (वल) भूक 7/1 अव्यय (साहण) 7/1 (सामिअ) 7/1 (निरुच्छाह) 7/1 वि
= सेना के = स्वामी के = उत्साहरहित होने पर
1. यदि एक क्रिया के बाद दूसरी क्रिया हो तो पहली क्रिया में कृदन्त का प्रयोग होता है और यदि कर्तृवाच्य है तो कर्ता और कृदन्त में सप्तमी विभक्ति होगी, यदि कर्मवाच्य है तो कर्म और कृदन्त में सप्तमी विभक्ति होगी, कर्ता में तृतीया।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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