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________________ ताण (त) 4/2 स = उनके लिए (तुम्ह) 1/1 स - तुम [(स+अणुराओ) (स-अणुराअ) 1/1 वि] :- अनुराग सहित (अस) व 2/1 अक = होती हो -साणुराओ सि 11. दीसंति जोयसिद्धा अंजणसिद्धा (दीसंति) व कर्म 3/2 सक अनि [(जोय)-(सिद्ध) भूकृ 1/2 अनि] [(अंजण)-(सिद्ध) भूकृ 1/2 अनि] अव्यय (क) 1/2 स = देखे जाते हैं -योग-सिद्ध = अंजण-सिद्ध = भी.. = कितने के अव्यय दीसंति दारिद्दजोयसिद्धं = देखे जाते हैं = दारिद्र-योग-सिद्ध को 'F TEE (दीसंति) व कर्म 3/2 सक अनि (दारिद्द)-(जोय)-(सिद्ध) भूक 2/1 अनि (अम्ह) 2/1 स (त) 1/2 स (लोय) 1/2 अव्यय (पेच्छ) व 3/2 सक लोया = मनुष्य = नहीं = देखते हैं पेच्छंति 12. संकुयइ संकुयंते वियसइ = सिकुड़ जाता है = अस्त होते हुए = फैल जाता है = उदय होते हुए = सूर्य में वियसंतयम्मि (संकुय) व 3/1 अक (संकुय) वकृ7/1 (वियस) व 3/1 अक (वियस) वकृ 'य' स्वार्थिक 7/1 (सूर) 7/1 (सिसिर) 7/1 [(रोर) वि-(कुडुंब) 1/1] [(पंकय)-(लीला) 2/1] (समुव्वह) व 3/1 सक सूरम्मि = सर्दी में सिसिरे रोरकुडंबं पंकयलीलं समुव्वहइ = गरीब कुटुम्ब = कमल की लीला को = धारण करता है 80 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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