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________________ = उदारता = आत्मसम्मान दाणं माणं वसणे वि धीरिमा मरणे = विपत्ति में = भी = धैर्य (दाण) 1/1 (माण) 1/1 (वसण) 7/1 अव्यय (धीरिमा) 1/1 (मरण) 7/1 [(कज्ज)-(सअ) 7/1] अव्यय (अमोह) 1/1 वि (पसाहण) 1/1 [(धीर) वि-(पुरिस) 6/2] . कज्जसए = मरण में = सैकड़ों प्रयोजनों में = भी .. = अनासक्त । = भूषण .. = धीर पुरुषों के . अमोहो पसाहणं धीरपुरिसाणं 8. EFFEELEEEEEEEEEEEEEE दारिद्दय गुणा गोविजंता (दारिद्द) 8/1 स्वार्थिक 'य' प्रत्यय (तुम्ह) 6/1 स (गुण) 1/2 (गोव) वकृ कर्म 1/2 अव्यय [(धीर) वि-(पुरिस) 3/2] (पाहुणअ) 7/2 (छण) 7/2 धीरपुरिसेहिं पाहुणएसु छणेसु = हे निर्धनता . = तुम्हारे = गुण = छुपाये जाते हुए = भी = धीर पुरुषों के द्वारा = अतिथियों में = उत्सवों पर = और = कष्टों के होने पर = प्रकट = होते हैं य अव्यय वसणेसु पायडा (वसण) 7/2 (पायड) 1/2 (हु) व 3/2 अक हुंति दारिद्दय तुज्झ (दारिद्द) 8/1 स्वार्थिक 'य' प्रत्यय (तुम्ह) 4/1 स = हे निर्धनता = तुम्हारे लिए 1. दो शब्दों को जोड़ने के लिए कभी-कभी 'और' अर्थ का व्यक्त करने वाले अव्यय दो बार प्रयोग किए जाते हैं। प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग -2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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