SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ...! ववसायफलं विहवो विहवस्स = संकल्प का परिणाम = सम्पत्ति = सम्पत्ति का = और = व्याकुल जनों का उद्धार विहलजणसमुद्धरणं विहलुद्धरणेण [(ववसाय) - (फल) 1/1] (विहव) 1/1 (विहव) 6/1 अव्यय [(विहल) वि-(जण)(समुद्धरण)1/1] [(विहल)+(उद्धरणेण)] [(विहल) वि- (उद्धरण) 3/1] (जस) 1/1 (जस) 3/1 (भण) विधि 2/1 सक (किं) 1/1 सवि अव्यय (पज्जत्त) भूकृ 1/1 अनि = व्याकुलों के उद्धार से = यश जसो जसेण = यश से = कहो भण किं - क्या = नहीं = प्राप्त किया हुआ पज्जतं 6. आढत्ता सप्पुरिसेहि तुंगववसायदिन्नहियएहिं कज्जारंभा = शुरू किये हुए = सज्जन आत्माओं द्वारा = उच्च, कर्म में, स्थापित, हृदय से (आढत्त) भूकृ 1/2 अनि (सप्पुरिस) 3/2 [(तुंग)-(ववसाय)-(दिन) वि(हियअ) 3/2] [(कज्ज)+(आरंभा)] [(कज्ज)-(आरंभ) 1/2] (हो) भवि 3/2 (निप्फल) 1/2 वि अव्यय (क्रिविअ) • होहिंति . . . निष्फला = कार्यों के लिए प्रयत्न = होंगे = निष्फल = कैसे = दीर्घ काल तक चिरं कालं विहवक्खए वि . [(विहव)-(क्खअ) 7/1] अव्यय = वैभव के क्षय होने पर = भी प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 77 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy