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• पाठ - 2 'गउडवहो
1.
इह ते जअंति कइणो जअमिणमो जाण सअल-परिणाम। . वाआसु ठिअं दीसइ आमोअ-घणं व तुच्छं व॥
2. णिअआएँच्चिअ वाआएँ अत्तणो गारवं णिवेसंता।
जे एंति पसंसंच्चिअजअंति इह ते महा-कइणो॥
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3.
दोग्गच्चम्मि वि सोक्खाइँ ताण विहवे वि होंति दुक्खाई। कव्व-परमत्थ-रसिआइँ जाण जाअंति हिअआइँ॥..
सोहेइ सुहावेइ अ उवहुज्जंतो लवो वि लच्छीए। देवी सरस्सई उण असमग्गा किं पि विणडेड्र॥
5.
लगिहिइ ण वा सुअणे वयणिज्जं दुज्जणेहिँ भण्णतं। ताण पुण तं सुअणाववाअ-दोसेण संघडइ॥
6.
जाण असमेहिँ विहिआ जाअइ जिंदा समा सलाहा वि। जिंदा वि तेहिँ विहिआ ण ताण मण्णे किलामेइ॥
7.
हरइ अणू वि पर-गुणो गरुअम्मि वि णिअ-गुणे ण संतोसो। सीलस्स विवेअस्स अ सारमिणं एत्तिअं चेअ॥
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग-2
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