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________________ 12. रत्तो (रत्त) भूकृ 1/1 अनि बंधदि (बंध) व 3/1 सक कम्म (कम्म) 2/1 मुच्चदि (मुच्चदि) व कर्म 3/1 सक अनि कम्मेहिं (कम्म) 3/2 रागरहिदप्पा [(रागरहिद) + (अप्पा)] [(रागरहिद)-(अप्प) 1/1] एसो (एस) 1/1 सवि बंधसमासो [(बंध)-(समास) 1/1] जीवाणं (जीव) 6/2 जाण . (जाण) विधि 2/1 सक णिच्छयदो क्रिविअ = रागी = बाँधता है = कर्म को = छुटकारा पाता है = कर्मों में = रागरहित आत्मा .. = यह = बन्ध का संक्षेप = जीवों के = जानो = निश्चय से . । 13. देहा (देह) 1/2 = शरीर (देह) वा अव्यय =या दविणा -सम्पत्ति वा -या = सुख-दुःख सुहदुक्खा वाध सत्तुमित्तजणा (दविण) 1/2 अव्यय [(सुह)-(दुक्ख) 1/2] [(वा)+(अध)] (वा) अव्यय (अध) अव्यय [(सत्तु)-(मित्त)-(जण) 1/2] (जीव) 4/1 अव्यय (अस) व 3/2 अक (धुव) 1/2 वि [(धुव)+(उवओग)+(अप्पगो)] [(धुव)-(उवओग)-(अप्पग) 1/1] % या = इसी प्रकार = शत्रुजन, मित्रजन (व्यक्ति) = आत्मा के लिये = नहीं जीवस्स है संति धुवा धुवोवओगप्पगो = स्थायी = स्थायी और ज्ञानस्वरूप 154 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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