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लोगे .
(लोग) 7/1
तहा
अव्यय
= लोक में (इस जगत में) · = वैसे ही = दिव्यरूप
देवो
(देव) 1/1 वि
देवदजदिगुरुपूजासु [(देवद)-(जदि)-(गुरु)-(पूजा) 7/2]
अव्यय
.
.
(दाण) 7/1
चेव दाणम्मि वा सुसीलेसु उववासादिसु
.
अव्यय
= देव, संन्यासी और गुरु
की आराधना में = और = दान में .. = तथा = व्रतों में = उपवासादि में = अनुरक्त = शुभ उपयोगस्वभाववाला -व्यक्ति
रत्तो
.
(सुसील) 7/2 (उववासादि) 7/2 (रत्त) भूक 1/1 अनि [(सुह)-(उवओगप्पग) 1/1 वि] (अप्प) 1/1
सुहोवओगप्पगो
अप्पा
.
9.
सपरं
॥
= सहित = दूसरे (की अपेक्षा) = बाधायुक्त = नाशवान = कर्मबन्ध का कारण
बाधासहियं विछिण्णं बंधकारणं विसमं
॥
= असमान
॥
[(स) अ-(परं)] (स) अव्यय परं-(पर) 1/1 वि [(बाधा)-(सहिय) 1/1 वि] (विछिण्ण) भूकृ 1/1 वि [(बंध)-(कारण) 1/1] (विसम) 1/1 वि (ज) 1/1 सवि (इंदिय) 3/2 (लद्ध) भूकृ 1/1 अनि (त) 1/1 सवि (सोक्ख) 1/1 [(दुक्खं)+(एव)] दुक्खं (दुक्ख) 1/1 एव (अव्यय)
-जो
॥
इन्द्रियों से
॥
इंदियेहिं लद्धं
= प्राप्त
3D वह
= सुख
॥
सोक्खं दुक्खमेव
= दु:ख
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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