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________________ अप्पांणं' (अप्पाण)2/1 = आत्मा के = इसलिये तम्हा णाणं = ज्ञान अप्पा अव्यय (णाण) 1/1 (अप्प) 1/1 (अप्प) 1/1 (णाण) 1/1 = आत्मा अप्पा = आत्मा णाणं = ज्ञान । व अव्यय अण्णं (अण्ण) 1/1 वि वा अव्यय M = खड़ा होना, बैठना और गमन य ठाणणिसेज्जविहारा [(ठाण)-(णिसेज्ज)-(विहार) 1/2] धम्मुवदेसो [(धम्म)+(उवदेसो)] [(धम्म)-(उवदेस) 1/1] अव्यय णियदयो (णियद) भूक 1/1 अनि य. स्वार्थिक तेसिं (त) 6/2 सवि अरहताणं (अरहंत) 6/2 काले (काल) 7/1 मायाचारो (मायाचार) 1/1 = धर्म का उपदेश (धर्मोपदेश) = और = स्थिर = उनका = अरिहन्तों के = (उस) समय में = मातारूप आचरण - की तरह = स्त्रियों के व्व अव्यय इत्थीणं (इत्थी) 6/2 6. तिमिरहरा जइ दिट्ठी [(तिमिर)-(हर (स्त्री)-हरा) 1/1] अव्यय (दिट्ठि) 1/1 (जण) 6/1 (दीव) 3/1 = अन्धकार को हरनेवाली = यदि = आँख = मनुष्य की = दीपक के द्वारा जणस्स दीवेण 1. 'बिना' के योग में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है। 150 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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