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सुहं सुधुवओगप्प- सिद्धाणं
(सुह) 1/1
. सुख [(सुद्ध)+ (उवओग) + (प्पसिद्धाणं)] = शुद्धोपयोग से विभूषित [(सुद्ध) वि-(उवओग)-(प्पसिद्ध) 6/2 वि] (जीवों) का
3.
सोक्खं
(सोक्ख) 1/1
= सुख
अव्यय
= तथा
पुण
अव्यय
दुक्खं
(दुक्ख) 1/1 (केवलणाणि) 6/1
केवलणाणिस्स णस्थि देहगदं
अव्यय
= पादपूर्ति = दुःख = केवलज्ञानी के = नहीं है = देह विषयक = चूँकि = अतींद्रियता = उत्पन्न हुई है = इसलिये = ही
[(देह)-(गद) भूकृ 1/1 अनि] अव्यय (अदिदियत्त) 1/1 (जाद्र) भूकृ 1/1 अनि
जम्हा
अदिदियत्तं जादं
तम्हा
अव्यय
अव्यय
-वह
(त) सीव (णेय) विधि कृ 1/1 अनि
= समझने योग्य
-ज्ञान
= आत्मा
= इस प्रकार
• (णाण) 1/1 .. (अप्प-अप्पा) 1/1
अव्यय (मद) भूकृ 1/1 अनि (वट्ट) व 3/1 अक (णाण) 1/1
= कहा गया (है) = रहता है
= ज्ञान
णाणं विणा
- बिना
अव्यय
= नहीं
अव्यय
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग -2
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