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पाठ -5. प्रवचनसार
1.
= चारित्र = निश्चय ही = धर्म = धर्म. .
धम्मो
FFEE+ :
चारित्तं
(चारित्त) 1/1 खलु
अव्यय (धम्म) 1/1 (धम्म) 1/1 (ज) 1/1 सवि (त) 1/1 सवि
(सम) 1/1 त्ति . अव्यय णिद्दिवो (णिद्दि8) भूकृ 1/1 अनि मोहक्खोहविहीणो [(मोह)-(क्खोह)-(विहीण)
भूकृ 1/1 अनि] परिणामो (परिणाम) 1/1
(अप्प) 6/1
= समता
= कहा गया है
= मूर्छा और व्याकुलतारहित = भाव = आत्मा का
अप्पणो
अव्यय
समो
(सम) 1/1
-समता
= श्रेष्ठ = आत्मा से उत्पन्न = इन्द्रिय-विषयों से परे
अइसयमादसमुत्थं [(अइसयं)+ (आद)+ (समुत्थं)]
(अइसय) 1/1 वि
[(आद)-(समुत्थ)] 1/1 वि विसयातीदं [(विसय)+(अतीदं)]
[(विसय)-(अतीद) 1/1 वि] अणोवममणंतं [(अणोवम) + (अणंत)]
(अणोवम) 1/1 वि
(अणंत) 1/1 वि अव्वुच्छिण्णं (अव्वुच्छिण्ण) 1/1 वि
अव्यय
= अनुपम = अनन्त
= सतत
= और
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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