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________________ 24. णच्चाण' = जानकर (णा) संकृ (त) 1/1 सवि (महावीर) 1/1 महावीरे = महावीर अव्यय = नहीं 5 अव्यय - भी अव्यय = बिल्कुल = पाप (को) पावगं सयमकासी (पावग) 2/1 [(सयं)+(अकासी)] सयं (अव्यय) अकासी (अकासी) भू आर्ष 3/1 सक । (अण्ण) 3/2 वि अण्णेहिं अव्यय = स्वयं = करते थे = दूसरों से = भी = नहीं = करवाते थे = किए जाते हुए = भी अव्यय कारित्था कीरतं (कर-कार) प्रे भू 3/1 सक. (कीरंत) वकृ कर्म 2/1 अनि अव्यय [(ण)+ (अणुजाणित्था)] ण (अव्यय) अणुजाणित्था (अणुजाण) भू 3/1 सक णाणुजाणिस्था = नहीं अनुमोदन करते थे पविस्स . णगरं . . . . (गाम) 2/1 (पविस्स) संकृ अनि (णगर) 2/1 = गाँव = प्रवेश करके = नगरे को- में वा अव्यय . =या 1. . पिशल: प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ, 830 2. 'गमन' अर्थ के साथ द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है। प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 145 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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