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अणेगरूवा
(अणेगरूव) 1/2 वि
= नाना प्रकार के = भी
अव्यय (संसप्पग)12 वि
संसप्पा
= चलने-फिरने वाले .. = भी
अव्यय
15
ज
(ज) 1/2 सवि (पाण) 1/2
पाणा
= जीव
अव्यय
= और
अदुवा पक्खिणो उवचरंति
(पक्खि ) 1/2 (उवचर) व 3/2 सक
= पंखयुक्त = उपद्रव करते हैं· उपद्रव करते थे .
16.
इहलोइयाई परलोइयाई भीमाई अणेगरूवाई अवि सुन्भिदुब्भिगंधाई सद्दाई अणेगरूवाई
(इहलोइय) 2/2 वि (परलोइय) 2/2 वि (भीम) 2/2 वि (अणेगरूव) 2/2 वि अव्यय [(सुन्भि) वि-(दुन्भि) वि-(गंध) 2/2] (सद्द) 2/2 (अणेगरूव) 2/2 वि
= इस लोक सम्बन्धी = परलोक सम्बन्धी . = भयानक को = नाना प्रकार के = और = रुचिकर और अरुचिकर.
गन्धों में = शब्दों में = नाना प्रकार के
17. अधियासए
(अधियास) व 3/1 सक
= झेलता है-झेला
सया
अव्यय
-सदा
॥
॥
समिते (समित) 1/1 वि
= समतायुक्त फासाई (फास) 2/2
कष्टों को विरूवरूवाई (विरूवरूव) 2/2 वि
= अनेक प्रकार के अरर्ति (अरति) 2/1 वि
= शोक को 1. कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम
प्राकृत व्याकरण : 3-137)
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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