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एताइ संति पडिलेहे चित्तमंताई
देखते हैं-देखा
(एत) 1/2 सवि (अस) व 3/2 अक
पडिलेह) व 3/1 सक (चित्तमंत) 1/2 वि (त) 1/1 सवि (अभिण्णा) संकृ (परिवज्ज) संकृ (विहर) भू 3/1 सक
अभिण्णाय परिवज्जियाण विहरित्था
= चेतनवान = उसने (उन्होंने) = समझकर = परित्याग करके = विहार करते थे
इति
अव्यय
इस प्रकार
संखाए
= जानकर
(संखा) संकृ (त) 1/1 स (महावीर) 1/1
महावीरे
.
= वह (वे) = महावीर
8.
मातण्णे
= मात्रा को समझनेवाले = खाने-पीने की
असणपाणस्स
णाणुगिद्धे
नहीं
(मातण्ण) 1/1 वि [(असण)-(पाण) 6/1] [(ण)+ (अणुगिद्धे)] ण (अव्यय) अणुगिद्धे (अणुगिद्ध) 1/1 वि (रस)7/2 (अपडिण्ण) 1/1 वि (अच्छि ) 2/1
.
रसेसु अपडिण्णे अच्छि
= लालायित = रसो में = निश्चय नहीं = आँख को
अव्यय
= भी
अव्यय
= नहीं
...
णो . . पमज्जिया
(पमज्ज) संकृ
।
पोंछकर = नहीं
अव्यय
नि
अव्यय
= भी
1.
भूतकाल की घटनाओं का वर्णन करने में वर्तमानकाल का प्रयोग किया जा सकता है।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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