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चक्खुसासज्ज
[(चक्खं) + (आसज्ज)]
चक्खु (चक्खु) 2/1 (आसज्ज) अव्यय
अव्यय
अंतसो झाति'
= आँखों को = रखकर या लगाकर ... = आन्तरिक रूप से = ध्यान करते हैं-ध्यान करते थे
।
(झा) व 3/1 सक
अह
= तब
चक्खुभीतसहिया
अव्यय [(चक्खु)-(भीत)-(सहिय) 1/2] (त) 1/2 स
= आँखों के डर से युक्त
हंता'
अव्यय
हंता'
अव्यय
= यहाँ आओ = देखो = बहुत लोगों को .. = पुकारते थे .
बहवे कंदिसु
(बहव) 2/2 वि (कंद) भू 3/2 सक
= पादपूर्ति
पहाय
स
अव्यय केयिमे [(के)+(य)+ (इमे)]
के (क) 2/2 वि य (अ) = और = किन्हीं
इमे (इम) 1/1 स अगारत्था (अगारत्थ) 2/2 वि
= घर में रहने वालों के
स्थानों पर मीसीभावं (मीसीभाव) 2/1
= मेलजोल के विचार को (पहा) संकृ
= छोड़कर (त) 1/1 स
= वे (वह) (झा) व 3/1 सक
= ध्यान करते हैं-ध्यान
करते थे 1. भूतकाल की घटनाओं का वर्णन करने में वर्तमानकाल का प्रयोग किया जा सकता है।
भीत= डर यहाँ भीत' नपुंसकलिंग संज्ञा है (विभिन्न कोश देखें) ___ हता' शब्द अव्यय है (विभिन्न कोश देखें) 5. 'कंद' का कर्म के साथ अर्थ होगा, 'पुकारना'। 6. सप्तमी के स्थान पर द्वितीया का प्रयोग। 132
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
झाति'
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