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धम्म अणज्जो
= धर्म को = अज्ञानी = भोग के प्रयोजन से
भोगकारणा
= वह
तत्थ
मुच्छिए बाले आयई नावबुज्झई
(धम्म) 2/1 (अणज्ज) 1/1 वि [(भोग)-(कारण) 5/1] (त) 1/1 सवि (त) 7/1 स (मुच्छिअ) 1/1 वि (बाल) 1/1 वि (आयइ) 2/1 [(न) + (अवबुज्झई)] न (अव्यय). अवबुज्झई' (अवबुज्झ) व 3/1 सक
= उसमें = मूर्च्छित = अज्ञानी = भविष्य को
= नहीं = समझता है
जत्थेव
= जहाँ
[(जत्थ)+(एव)] (जत्थ) अव्यय (एव) अव्यय (पास) विधि 3/1 सक
पासे
= देखे = कहीं
अव्यय
'कई • दुप्पउत्तं
काएण
= खराब किया हुआ
काया से = वचन से
वाया
= या
अदु माणसेणं
(दुप्पउत्त) भूकृ 2/1 अनि (काअ) 3/1
(काया) 3/1 अनि . अव्यय
(माणस) 3/1 [(तत्थ) + (एव)] (तत्थ) अव्यय (एव) अव्यय (धीर) 1/1 वि
= मन से
तत्थेव
ही
. 1..
2.
छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु इ' को 'ई' किया गया है। वाच-वाचा-वाया।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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