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________________ = उपदिष्ट, ॥ देसियं . अहिंसा निउणा दिट्ठा सव्वभूएसु ॥ (देस) भूकृ 1/1 (अहिंसा) 1/1 क्रिविअ (दिट्ठ-दिट्ठा) भूकृ 1/1 अनि [(सव्व)-(भूअ) 7/2] (संजम) 1/1 = अहिंसा = सूक्ष्म रूप से = जानी गई है = सब प्राणियों के प्रति ॥ ॥ संजमो' - करुणाभाव अव्यय . बाहिरं = नहीं ... = बाह्य को (का) = तिरस्कार करे = अपने को (बाहिर) 2/1 वि (परिभव) विधि 3/1 सक (अत्ताण) 2/1 परिभवे अत्ताणं अव्यय = नहीं समुक्कसे सुयलाभे (समुक्कस) विधि 3/1 सक [(सुय)-(लाभ) 7/1] = ऊँचा दिखाए = ज्ञान का लाभ होने पर .. अव्यय = नहीं मज्जेज्जा जच्चा (मज्ज) विधि 3/1 अक (जच्चा) 6/1 अनि (तवसि) मूल शब्द 6/1 वि (बुद्धि) 6/1 गर्व करे = जाति का तपस्वी का बुद्धि का तवसि बुद्धिए अव्यय धम्मस्स विणओ (धम्म) 6/1 (विणअ) 1/1 = इसी प्रकार = धर्म का = विनय 2. संजम=संयम करुणा की भावना, दयाभाव (आप्टे : संस्कृत-हिन्दी कोष) किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द (विशेषण भी) काम में लाया जा सकता है। (पिशल: प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 517) अपभ्रंश में षष्ठी में भी मूल शब्द ही काम में लाया जाता है। विभक्ति जुड़ते समय दीर्घ-स्वर बहुधा कविता में हस्व हो जाते हैं। (पिशल : प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 182) 120 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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