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अव्यय
सम्मं . भूयाई पासओ पिहियासवस्स
(भूय) 2/2 (पासअ) 1/1 वि [(पिहिय)+ (आसवस्स)] [(पिहिय) भूक अनि-(आसव) 6/1] (दंत) भूकृ 6/1 अनि
= अच्छी तरह से = प्राणियों में = दर्शन करनेवाला = रोके हुए आश्रव के कारण
दंतस्स .
पावं
(पाव) 2/1 वि (कम्म) 2/1
= आत्म-नियन्त्रित होने के
कारण = अशुभ. . = कर्म को = नहीं बाँधता है
कम्म
अव्यय
(बंध) व 3/1 सक
अव्यय
= सर्वप्रथम
नाणं
(नाण) 2/1
= ज्ञान = बाद में
तओ
अव्यय
दया
(दया) 1/1
= करुणा
अव्यय
= इस प्रकार
चिट्ठइ
= आचरण करता है = प्रत्येक संयत
सव्वसंजए अन्नाणी
= अज्ञानी
(चिट्ठ) व 3/1 अक [(सव्व)-(संजअ) 1/1 वि] (अन्नाणी) 1/1 वि (किं) 2/1 वि (काही) भवि 3/1 सक अव्यय
Tra
= क्या
काही किंवा
= करेगा = कैसे
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-137) कभी-कभी षष्ठी विभक्ति का प्रयोग तृतीया या पंचमी के स्थान पर पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-134) पूरी या आधी गाथा के अन्त में आनेवाली 'इ' का क्रियाओं में 'ई' हो जाता है। (पिशल: प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 138) पिशल: प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 771 (अर्धमागधी में 'काही' भी होता है।)
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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