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पाठ - 3 दशवैकालिक
समाए
= राग-द्वेष से रहित
(सम-समा) 7/1 वि (पेहा) 7/1 (परिव्वय) वकृ 1/1
अव्यय
पेहाए परिव्वयंतो सिया . मणो निस्सरई बहिद्धा
= चिन्तन में = भ्रमण करता हुआ = कभी .... = मन = निकल जाता है ।
.
(मण) 1/1 (निस्सर) व 3/1 अक
अव्यय
॥
= बाहर
न
॥
• अव्यय (ता) 1/1 सवि (अम्ह) 6/1 स
॥
॥
अव्यय
॥
निश्चय ही
॥
अव्यय (अम्ह) 1/1 स अव्यय (ती) 6/1 स
= उसका
इच्चेव
अव्यय
%D इस प्रकार
= उससे
ताओ विणएज्ज
(ता) 5/1 स (वि-णी-वि–णएज्ज) विधि 3/1 सक अनि (राग) 2/1
= हटावे
रागं
= आसक्ति को
1.
छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु 'इ' को 'ई' किया गया है।
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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