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________________ जइ ण जाणामि किरिया पुण अहंति सज्जणा णावरद्धे da वि 12. महिमं दोसाण गुणा दोसा do वि हु hco दैति • गुण - णिहाअस्स दोसाण 15 गुणा ते गुणा जइ ता णमो ताण Jain Education International अव्यय अव्यय (जाण) व 1 / 1 सक (किरिया) 7/2 अव्यय (पअट्ट) व 3 / 2 अक (सज्जण) 1/2 [(ण) + (अवरद्धे ) ] ण (अव्यय) अवरद्धे (अवरद्ध) 7/1 अव्यय (महिमा) 2 / 1 (दोस) 4/2 ( गुण) 1/2 (दोस) 1/2 अव्यय अव्यय (दा) व 3 / 2 सक [ ( गुण) - (णिहाअ) 4/1] (दोस) 6/2 (ज) 1 / 2 सवि ( गुण) 1 / 2 (त) 1/2 स .(गुण) 6/2 अव्यय अव्यय अव्यय (त) 4 / 2 स प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2 = यदि = नहीं = जानता हूँ = सावद्य क्रियाओं में : किन्तु = प्रवृत्ति करते हैं = सज्जन = = नहीं = अपराध में = भी = महिमा = दोषों के लिए = गुण = दोष = तथा = भी = प्रदान करते हैं = गुण-समूह के लिए = दोषों के = जो = गुण = वे = = गुणों के = - यदि = For Personal & Private Use Only तो = नमस्कार : उनके लिए = 109 www.jainelibrary.org
SR No.002692
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2005
Total Pages192
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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