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णिव्वाडंताण सिवं
(णिव्वाड) प्रे वकृ 4/2 (सिव) 2/1 (सअल) 1/1 वि
= सिद्ध करते हुए के लिए = कल्याण को
सअलं
= समग्र
अव्यय
= ही
चिअ सिवअरं
(सिवअर) 1/1 तुवि
= अधिक कल्याणकारी
तहा
अव्यय
- इस प्रकार
ताण
Lavallérrall
(त) 4/2 स (णिव्वड) व 3/1 अक
= उनके लिए = सिद्ध होता है
णिव्वडइ
किं पि
अव्यय
= कुछ = जिससे
अव्यय
(त) 1/2 स
अव्यय
अव्यय
= स्वयं
अप्पणा विम्हअमुवेंति
[(विम्हअं)+ (उवेंति)] विम्हअं (विम्हअ) 2/1 उति (उवे) व 3/2 सक
= आश्चर्य को = प्राप्त करते है
तं
(त) 1/1 सवि
= वह
अव्यय
= वास्तव में
= लक्ष्मी की
सिरीएँ रहस्सं
(सिरी) 6/1 (रहस्स) 1/1
= रहस्य = कि
अव्यय
सुचरिअमग्गणेक्कहिअओ वि .
[(सुचरिअ)+ (मग्गण)+ (एक्क)+ (हिअओ)] [(सुचरिअ) वि-(मग्गण)- (एक्क) वि-(हिअअ) 1/1]
= सुचरित्र की खोज में
स्थिर हृदय = यद्यपि
अव्यय
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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