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(पसंसा) 2/1
पसंसं च्चिअ जअंति
अव्यय
= प्रशंसा = निश्चय ही = जीतते हैं = इस लोक में
(जअ) व 3/2 अक
इह
अव्यय
(त) 1/2 सवि [(महा) वि-(कइ) 1/2]
महा-कइणो
= महाकवि
वि
= निर्धनता में = भी .. = सुख = उनके लिए = वैभव में
दोग्गच्चम्मि (दोग्गच्च) 7/1
अव्यय सोक्खाइँ (सोक्ख) 1/2 ताण
(त) 4/2 सवि विहवे (विहव) 7/1
अव्यय होति (हो) व 3/2 अक दुक्खाई (दुक्ख) 1/2 कव्व-परमत्थ- . [(कव्व)-(परमत्थ)रसिआइँ (रसिअ) 1/2 वि]. जाण
(ज) 6/2 सवि जाअंति (जाअ) व 3/2 अक हिअआइँ (हिअअ) 1/2
= होते हैं = दुःख
...
= काव्य-तत्त्व के रसिक = जिनके = होते हैं
= हृदय
4.
सोहेइ सुहावेड़
अ
(सोह) व 3/1 अक (सुहाव) व 3/1 सक अव्यय (उवहुज्जत) कर्म वकृ 1/1 अनि (लव) 1/1
अव्यय (लच्छी ) 6/1 (देवी) 1/1
= शोभती है = सुखी करती है = तथा = उपभोग की जाती हुई थोड़ी मात्रा
उवहुज्जंतो लवो
लच्छीए
= भी लक्ष्मी की
देवी
= देवी
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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