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पाठ-2 गउडवहो
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अव्यय
= इस लोक में = वे = जीतते हैं = कवि
जअंति कइणो जअमिणमो
= जगत्
जाण
सअल-परिणामं वाआसु ठिअं दीसइ . आमोअ-घणं
(त) 1/2 सवि (जअ) व 3/2 अक (कइ) 1/2 [(जअं)+ (इणमो)] जअं (जअ) 1/1 इणमो (इम) 1/1 सवि (ज) 6/2 सवि [(सअल) वि-(परिणाम) 1/1] (वाआ) 7/2 (ठिअ) भूकृ 1/1 अनि (दीसइ) व कर्म 3/1 सक अनि [(आमोअ)-(घण) 1/1 वि] अव्यय (तुच्छ) 1/1 अव्यय
= वह = जिनकी = सकल अभिव्यक्ति = वाणियों में = विद्यमान = देखा जाता है हर्ष से पूर्ण
तुच्छं ।
तिरस्कार
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या
(णिअअ-णिअआ) 3/1 वि
अव्यय
2. णिअआए . च्चिअ . . . वाआए : अत्तणो गारवं णिवेसंता
(वाआ) 3/1 (अत्त) 6/1 (गारव) 2/1 (णिवेस) वकृ 1/2 (ज) 1/2 सवि (ए) व 3/2 सक
= स्वकीय = ही . = वाणी के द्वारा = निज के = गौरव को = स्थापित करते हुए = जो = प्राप्त करते हैं
एंति
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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