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फुसिज्जंति
(फुस) व कर्म 3/2 सक
.
= पोंछ दिए जाते हैं
जाणइ
भण
= जिस (बात) को = समझता है = कहता है = मनुष्य = गुणों का = वैभवों का
जणो
गुणाण विहवाण अंतरं गरुयं
. (ज)2/1 सवि (जाण) व 3/1 सक (भण) व 3/1 सक (जण) 1/1 (गुण) 6/2 (विहव) 6/2 (अंतर) 1/1 (गरुय) 1/1 वि (लब्भइ) व कर्म 3/1 सक अनि (गुण) 3/2 (विहव) 1/1 (विहव) 3/2 (गुण) 1/2
अन्तर
लब्भइ गुणेहि विहवो "विहवेहि गुणा
= बड़ा = प्राप्त किया जाता है = गुणों से = वैभव = वैभवों से = गुण = नहीं = प्राप्त किये जाते हैं
अव्यय
1
घेप्पंति .
(घेप्पंति) व कर्म 3/2 सक अनि
38.
अव्यय
पासपरिसंठिओ [(पास)-(परिसंठिअ) भूकृ 1/1 अनि] = पास में स्थित
= भी अव्यय
= पादपूर्ति गुणहीणे
[(गुण)-(हीण) भूक 7/1 अनि] = गुणहीन में (किं) 1/1 स
= क्या करेइ' . (कर) व 3/1 सक
= करेगा गुणवंतो (गुणवंत) 1/1 वि
= गुणवान जायंधयस्स
[(जाय)+(अंधयस्स)]
[(जाय) भूकृ-(अंधय) 4/1 वि] = जन्मे हुए, अन्धे के लिए 1. प्रश्नवाचक शब्दों के साथ वर्तमानकाल का प्रयोग प्रायः भविष्यत्काल के अर्थ में
होता है।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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