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किज्जउ
किया जाए
(कि-किज्ज) विधि कर्म 3/1 सक (थिर) 1/1 वि
थिरु
स्थिर
8.
गिरा
यहाँ
निवडिउ एत्थु रयणु अवलोयहो
(निवड-निवडिअ) भूक 1/1 अव्यय (रयण) 1/1 (अवलोय) 4/1 (त) 2/1 स (आण+एवि) संकृ अव्यय (अम्ह) 4/1 (ढोय) 8/2 वि (दे)
अवलोकन के लिए उसको
आणेवि
लाकर
पुणुवि
फिर
मह
मेरे लिए हे उपस्थित (लोगों)
ढोयहो 9. सायरे
सागर में लुप्त हुआ
वहंतहो पोयहो' कहिँ
चलते हुए जहाज में
(सायर) 7/1 (नट्ठ) भूक 1/1 अनि (वह-वहंत) वकृ 6/1 (पोय) 6/1
अव्यय (लब्भइ) व कर्म 3/1 सक अनि (माणिक्क) 1/1 (पलोय) 8/2
कहाँ
प्राप्त किया जाता है (जाएगा)
लब्भइ माणिक्कु पलोयहो
हे देखनेवाले (मनुष्यों)
10.
यह
मणुयजम्मु माणिक्कसमु रइसुहनिद्दावसजायभमु
(इअ) 1/1 सवि [(मणुय)-(जम्म) 1/1] [(माणिक्क)-(सम) 1/1 वि] [(रइ)-(सुह)-(निद्दा)-(वस)-(जाय) भूकृ-(भम) 1/1] [(संसार)-(समुद्द) 7/1] (हराविय-हरावियअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक
मनुष्य जन्म रत्न के समान रतिसुखरूपी निद्रा के वश में हुआ भ्रमण संसार समुद्र में
संसारसमुद्दि हरावियउ
हराया गया
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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