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फुरुहुरंत धावंत
(फुरुहुर) वकृ 1/2 (धाव) वकृ 1/2 (धर) भूकृ 1/2
थरथराते हुए दौड़ते हुए पकड़ लिये गये
धरिय
रथ
खींच लिये गए
खंचिय कड्डिय पगहोह
खींच ली गई
(रह) 1/2 (खंच-खंचिय) भूकृ 1/2 (कढ) भूकृ 1/2 [(पग्गह)+(ओह)] [(पग्गह)-(ओह) 1/2] (वार) भूकृ 1/2 (विंध) वकृ 1/2 (अणेय) 1/2 वि (जोह) 1/2
वारिय विंधन्त अणेय
लगामें रोक दिए गए बेधते हुए अनेक योद्धा
जोह
17.9
1.
पणमियसिरेहिं मउलियकरहिं बाहुबलि भरहु महुरक्खरेहि
[(पणमिय) संकृ-(सिर) 3/2] [(मउल-मउलिय) भूकृ-(कर) 3/2] (बाहुबलि) 1/1 . (भरह) 1/1 [(महुर)+(अक्खरेहिं)] [(महुर)-(अक्खर) 3/2]
प्रणाम करके, सिरों से संकुचित किए हुए, हाथों से बाहुबलि भरत मधुर शब्दों से
उग्गमियरोसपसमंतएहिं
उत्पन्न हुए, क्रोध को, शान्त करते हुए (के द्वारा) दोनों
विण्णि
[(उग्गमिय) भूकृ-(रोस)-(पसमंतअ) वकृ 3/1 'अ' स्वार्थिक] (वि) 1/2 वि अव्यय (विण्णव) भूकृ 1/2 (महंतअ) 3/2 'अ' स्वार्थिक
वि
विण्णविय महतंएहिं
कहे गये मंत्रियों द्वारा
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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