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सामिणि रज्जहो आयहो
(सामिणी) 2/1 (रज्ज) 6/1 (आय) 6/1 सवि
स्वामिनी को राज्य की इस (की)
8.
जाणमि
जिह
अन्तेउर-सारी
जाणमि
(जाण) व 1/1 सक
जानता हूँ अव्यय
जिस प्रकार [(अन्तेउर)-(सार-(स्त्री) सारी) 1/1 वि] अन्त:पुर में श्रेष्ठ (जाण) व 1/1 सक
जानता हूँ
जिस प्रकार (अम्ह) 4/1 स
मेरे लिए [(पेसण)-(गार--(स्त्री) गारी) 1/1 वि] आज्ञा (पालन) करनेवाली
जिह
अव्यय
महु
पेसण-गारी
9.
मिलकर
मेल्लेप्पिणु णायरलोएण
महु
उब्भा
नगर के लोगों द्वारा मेरे लिए घर में ऊँचे करके हाथों को जो
करेवि
कर
(मेल्ल+एप्पिणु) संकृ (णायर)-(लोअ) 3/1 (अम्ह) 4/1 स (घर) 7/1 (उब्भ) 2/2 वि (कर+एवि) संकृ (कर) 2/2 (ज) 1/1 सवि (दुज्जस) 1/1 अव्यय (चित्तअ) भूकृ 1/1 अनि (एअ) 1/1 सवि अव्यय (जाण) 4/1 (एक्क) 1/1 वि
.ref. . . . .
अपयश
दुज्जसु उप्परे चित्तउ
ऊपर
डाला गया
यह
नहीं समझने (जानने) के लिए
जाणहो
एक्कु
एक
पर
अव्यय
किन्तु
अपभ्रंश काव्य सौरभ
190
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