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4.
जा
अणुगुणसिक्खावयधारी
जा
सम्मत्तरयणमणिसारी
5.
जाणमि
जिह
सायर- गम्भीरी
जामि
जिह
सुरमहिहर
6.
जामि
अंकुस लवण-जणेरी
जाणमि
जिह
सुय
जयहो
केरी
7.
जाणमि
सस
भामण्डल
जाणमि
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(जा) 4/1 स
[(अणु) - (गुण) - (सिक्खा) - (वय) - (धार - (स्त्री) धारी) 1 / 1 वि]
(जा) 1 / 1 सवि
[ ( सम्मत) - ( रयण) - (मणि) - · ( सार - (स्त्री) सारी ) 1 / 1 वि]
(जाण) व 1 / 1 सक
अव्यय
[ ( सायर) - ( गम्भीर - (स्त्री) गम्भीरी) 2 / 1 वि]
(जाण) व 1 / 1 सक
अव्यय
[(सुर) - (महिहर) - (धीर - (स्त्री) धीरी) 2/1 fa]
(जाण) व 1 / 1 सक
[(अंकुस)- (लवण) - (जणेर - (स्त्री) जणेरी)] 2/1 वि
(जाण) व 1 / 1 सक
अव्यय
(सुया ) 2 / 1
( जणय ) 6/1
अव्यय
(जाण) व 1 / 1 सक
( ससा ) 2 / 1
[ ( भामण्डल) - (राय) 6 / 1 ]
(जाण) व 1/1 सक
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जो
अणुव्रत, गुणव्रत व शिक्षाव्रतों को धारण करनेवाली
जो
सम्यक्त्वरूपीरत्नों और मणियों का सार (निचोड़)
हूँ
जिस प्रकार
सागर के समान गम्भीर को
जानता हूँ
जिस प्रकार
मेरु (देवताओं के ) पर्वत के समान धैर्यवाली को
जाता हूँ
अंकुश और लवण
की माता को
हूँ
जिस प्रकार
पुत्री को
जनक की
सम्बन्धसूचक परसर्ग
हूँ
बहन को
भामण्डल राजा को
जानता हूँ
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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