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1.
रुअइ
विहीणु
सोयक्कमियउ
तुहुँ
णत्थमिउ
वसु अत्थमियउ
2.
तुहुँ
ण
जिओ सि
सयलु
जिउ
तिहुअणु
तुहुँ
ण
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अपभ्रंश काव्य सौरभ
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पाठ
पउमचरिउ
सन्धि
-
-
4
76.3
(तुम्ह) 1/1 स
अव्यय
76
(रुअ ) व 3 / 1 अक
( विहीण ) 1/1
[ ( सोय) - (क्कमक्कमिय+क्कमियअ)
भूक 1/1 'अ' स्वार्थिक]
(तुम्ह) 1 / 1 स
[(ण) + (अत्थमिउ ) ] ण = अव्यय ( अत्थम- अत्थमिअ) भूक 1 / 1
(वंस) 1/1
(अत्थम) भूकृ 1 / 1 'अ' स्वार्थिक
[(जिओ)+(असि)]
जिओ (जिअ ) भूक 1 / 1 अनि
असि (अस) व 2 / 1 अक
(सयल) 1 / 1 वि
(जिअ ) भूकृ 1 / 1 अनि
(fag 3101) 1/1
(तुम्ह) 1 / 1 स
अव्यय
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रोता है (रोया) विभीषण
शोक से युक्त
तुम
नहीं,
समाप्त हुए
वंश
समाप्त हो गया
तुम
नहीं
जीते गए,
हो
सकल
जीत लिया गया
त्रिभुवन
तुम
नहीं
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