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अव्यय
मानो
मोर
वरहिण लवन्ति
(वरहिण) 1/2 (लव) व 3/2 सक (परिओस) 3/1
बोलते हैं (बोले) सन्तोष से
परिओसें
मानो
सरवर वहु-अंसु-जलोल्लिय
अव्यय [(सर)-(वर) 1/2 वि] [(वहु) वि-(अंसु)-(जल)-(उल्लिय) 1/2 वि] अव्यय [(गिरि)-(वर) 1/2 वि] (हरिस) 3/1 (गञ्जोल्लिय) 1/2 वि
बड़े तालाब विपुल, आँसूरूपी, जल से, भरे हुए मानो बड़े पर्वत हर्ष से पुलकित
गिरिवर
हरिसें
गजोल्लिय
का
4.
वाक्यालंकार के लिए
उण्ह
तप्त
वि
मानो
दवग्गि
विओएं
अव्यय (उण्ह) 6/1 वि अव्यय (दवग्गि) 6/1 (विओअ) 3/1 अव्यय (णच्च) भूकृ 1/1 (महि) 1/1 [(विविह) वि-(विणोअ) 3/1]
दावाग्नि के वियोग से वाक्यालंकार
णच्चिय
नाची
महि
धरती विविध विनोद के कारण
विविह-विणोएं
मानो
अत्थमिउ
अस्त हुआ
दिवायरु
सर्य
अव्यय (अत्थमिअ) 1/1 वि (दिवायर) 1/1 (दुक्ख) 3/1 अव्यय (पइसर) व 3/1 अक
दुक्खें
दु:ख के कारण
मानो
पइसरइ
व्याप्त होती है (हो गई)
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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