________________
थिउ
रहा
(थिअ) भूकृ 1/1 अनि (सीयालअ) 7/1
सीयालए
शीतकाल में
10.
किसके द्वारा
उण्हालए
किर
ग्रीष्मकाल में किया गया शरीर का तपन
अत्तावणु
(क) 3/1 स (उण्हालअ) 7/1 (कि) भूकृ 1/1 [(अत्त)+(तावणु)] [(अत्त)-(तावण) 1/1] (एअ) 1/1 सवि [(तव)-(चरण) 1/1] (हो) व 3/1 अक (भीसावण) 1/1 वि
यह
तव-चरणु
होई
तप का आचरण होता है भीषण
भीसावणु
11. भरह
हे भरत
मत
वडिउ
बढ़कर
वोल्लि
(भरह) 8/1 अव्यय (वड्ड+इउ) संकृ (वोल्ल) विधि 2/1 सक (तुम्ह) 1/1 स (त) 1/1 सवि अव्यय
बोल
त
वह
अज्ज
आज
अव्यय
भी
वालु
बालक
भोग
भुजहि विसय-सुहाइँ को पव्वज्जहे .. कालु
(वाल) 1/1 (भुञ्ज) विधि 2/1 सक [(विसय)-(सुह) 2/2] (क) 1/1 सवि (पव्वज्जा) 6/1 (काल) 1/1
विषय सुखों को कौनसा
प्रव्रज्या का
काल
151
अपभ्रंश काव्य सौरभ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org