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24.5
णिसुणेवि
सुनकर
भरहु
आरुट्ठउ मत्त-गइन्दु
(त) 2/1 स
उसको (णिसुण+एवि) संकृ (भरह) 1/1
भरत (आरुट्ठअ) भूकृ 1/1 अनि 'अ' स्वार्थिक क्रुद्ध (रुष्ट) हुआ [(मत्त) भूक अनि-(गइन्द) 1/1] मस्त हाथी अव्यय
जैसे (की तरह) (चित्त) 7/1
चित्त में (दुट्ठउ) भूकृ 1/1 अनि
दुःखी हुआ
चित्तें दुदृउ
विरुयउ
ताव
वचन
वयणु प.
वुत्तउ
(विरुयउ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक प्रतिकूल अव्यय
तब (वयण) 1/1 (तुम्ह) 3/1 स
आपके द्वारा (वुत्तअ) भूकृ 1/1 अनि 'अ' स्वार्थिक कहे गये अव्यय
क्या (वाल) 4/1
बालक के लिए [(तव)-(चरण)] 1/1
तप का आचरण अव्यय (जुत्तअ) भूकृ 1/1 अनि
उचित, युक्त
किं
बालहो
तवचरणु
नहीं
जुत्तउ
अव्यय
क्या
बालपन
वालत्तणु सुहेहिं
(वालत्तण) 1/1 (सुह) 3/2 अव्यय (मुच्चइ) व कर्म 3/1 सक अनि
अव्यय श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 146
सुखों के द्वारा नहीं . ठगा जाता है
मुच्चइ
क्या
1.
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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