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________________ बावीस परीसह विसहिय (बावीस) 1/2 वि (परीसह) 1/2 (वि-सह-वि-सहिय) भूकृ 1/2 बाईस परीषह सहन किये गये जिय चउ-कसाय-रिउ दुज्जय (क) 3/1 स (जिय) भूक 1/2 अनि [(चउ) वि-(कसाय)-(रिउ) 1/2] (दुज्जय) 1/2 वि (क) 3/1 स (आयाम-आयामिय) भूकृ 1/2 (पञ्च) 1/2 वि (महव्वय) 1/2 किसके द्वारा जीते गये चारों कषायोंरूपी शत्रु । दुर्जेय किसके द्वारा ग्रहण किये गए पंच आयामिय पञ्च महव्वय महाव्रत किसके द्वारा किंठ पञ्चहुँ विसयहुँ णिग्गहु किया गया पाँचों विषयों का (क) 3/1 स (कि-किअ) भूकृ 1/1 (पञ्च) 6/2 वि (विसय) 6/2 (णिग्गह) 1/1 (क) 3/1 स (परिसेस-परिसेसिअ) भूक 1/1 अनि (सयल) 1/1 वि (परिग्गह) 1/1 निग्रह किसके द्वारा समाप्त किया गया परिसेसिउ सयलु सकल परिगहु परिग्रह कौन वृक्ष के समीप/नीचे दुम-मूले वसिउ बसा वरिसालए (क) 1/1 सवि [(दुम)-(मूल) 7/1] (वस-वसिअ) भूकृ 1/1 (वरिसालअ) 7/1 'अ' स्वार्थिक (क) 1/1 स [(एक्क)+ (अंगें)] [(एक्क) वि-(अङ्ग) 3/1] को वर्षाकाल में कौन केवलमात्र शरीर से एक्कंगे अपभ्रंश काव्य सौरभ 150 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002690
Book TitleApbhramsa Kavya Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages428
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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