________________
दसरहु
दशरथ
एम
(दसरह) 1/1 अव्यय (वियप्प+एवि) संकृ
इस प्रकार विचार करके
वियप्पेवि .
22.7
9.
दसरहु अण्ण-दिणे
(दसरह) 1/1 [(अण्ण) वि-(दिण) 7/1] अव्यय
दशरथ दूसरे दिन पादपूरक राम के लिए (को)
किर
रामहो
(राम) 4/1
रज्जु
राज्य
समप्पइ
(रज्ज) 2/1 (समप्प) व 3/1 सक (केक्कया) 1/1
केक्कय
देता है (देते हैं) केकय देश के राजा की कन्या
ताव
अव्यय
तब
मणे
मन में ग्रीष्म-काल
उण्हालए
(मण) 7/1 [(उण्ह)+(आलए)] [(उण्ह)-(आलअ) 7/1'अ' स्वा.] (धरणि) 1/1
धरणि
धरती
व
अव्यय
जैसे तपती है
तप्पइ
(तप्प) व 3/1 अक
22.8
1.
..
णरिन्दस्स
राजा (दशरथ) के
सोऊण
सुनकर
(णरिन्द) 6/1 (सोऊण) संकृ अनि [(पव्वज्जा (स्त्री)-पव्वज्ज)(यज्ज) 2/1]
पव्वज्ज-यज्ज
संन्यास-विधान को
133
अपभ्रंश काव्य सौरभ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org