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कहो
(क) 6/1 स
किसका सम्बन्धवाचक परसर्ग
तणउ
अव्यय
दव्यु
धन
सिंहासणु
सिंहासन
छत्तइँ अथिरु सव्वु
(दव्व) 1/1 (सिंहासण) 1/1 (छत्त) 1/2 (अथिर) 1/1 वि (सव्व) 1/1 सवि
अस्थिर
सभी
यौवन
जोव्वणु सरीरु जीविउ धिगत्थु
(जोव्वण) 2/1 (सरीर) 2/1 (जीविअ) 2/1 [(धिग) + (अत्थु)] धिग=अव्यय अत्थु (अत्थ) 2/1 (संसार) 1/1 (असार) 1/1 वि (अणत्थ) 1/1 वि (अत्थ) 1/1
शरीर जीवन को धिक्कार, धन
संसारु
संसार
असारु
असार
हानिकारक
अणत्थु अत्थु
धन
विष
विसु विसय
बन्धु दिढ-बन्धणाई
(विस) 1/1 (विसय) 1/1 (बन्धु) 1/1 [(दिढ)-(बन्धण) 1/2] [(घर)-(दार) 1/2] [(परिहव)-(कारण) 1/2]
विषय (भोग) बन्धु (परिवारजन) कठोर बन्धन घर और पत्नी दुःख देने के कारण
घर-दाराइँ परिहव-कारणाइँ
5.
सुत (पुत्र)
शत्रु
सत्तु विढत्तउ
(सुय) 1/2 (सत्तु) 1/2 (विढत्तअ) 2/1 वि अ स्वा. (अवहर) व 3/2 सक
उपार्जित (धन) को छीन लेते हैं
अवहरन्ति
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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