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________________ तास पिट्ठीए केस भारो= उसकी पीठ पर केशमार है। (सप्तमी के स्थान पर षष्ठी) 136. द्वितीया-तृतीययोः सप्तमी 3/135 द्वितीया-तृतीययोः सप्तमी [(द्वितीया)- (तृतीया) 6/2] सप्तमी (सप्तमी) 1/1 द्वितीया, तृतीया के स्थान पर (कभी-कभी) सप्तमी (होती है) । द्वितीया, तृतीया विभक्ति के स्थान पर कभी-कभी सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है। अहं नयरे न जामि= मैं नगर को नहीं जाता हूँ। (द्वितीया के स्थान पर सप्तमी) तेसु तीसु पुहइ अलंकिग्राउन तीनों द्वारा पृथ्वी अलंकृत हुई है । (तृतीया के स्थान पर सप्तमी) 137. पंचम्यास्तृतीया च 3/136 पंचम्यास्तृतीया च [(पंचम्याः)+(तृतीया)] पंचम्या: (पंचमी) 6/1 तृतीया (तृतीया) 1/1 च=और पंचमी के स्थान पर (कभी-कभी) तृतीया और (सप्तमी होती हैं)। पंचमी बिभक्ति के स्थान पर कभी-कभी तृतीया और सप्तमी का प्रयोग होता है। सो चोरेण बीहइवह चोर से डरता है । (पंचमी के स्थान पर तृतीया) अन्तेउरे रमिउं राया पागोअन्तःपुर से रमण करके राजा पा गया।। (पंचमी के स्थान पर सप्तमी) 138. सप्तम्या द्वितीया 3/137 सप्तम्या द्वितीया [(सप्तम्याः)+ (द्वितीया)] सप्तम्या: (सप्तमी) 6/1 द्वितीया (द्वितीया) 1/1 सप्तमी के स्थान पर (कभी-कमी) द्वितीया (होती है)। सप्तमी विभक्ति के स्थान पर कभी-कभी द्वितीया का प्रयोग होता है । 74 1 [ प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002688
Book TitlePraudh Prakrit Rachna Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1999
Total Pages248
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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