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5.
7.
8.
यदि श्र आदि के बाद श्र आदि स्वर आवे तो उसके स्थान
है -
= म्मावय ( सूत्र - 3/89)
व्यंजन सन्धि
6.
यदि त् के आगे अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ, द्, भ्, व् ग्रावे तो त् स्थान पर द् और यदि क् के आगे द् भावे तो क के स्थान पर ग् हो जाता है
9.
मो+अय
ऋतामुत्+अ=ऋतामुद ( सूत्र - 3 / 44 )
डेरत् + त् + इत् + एत् + वा=
एत् + ईती
इत् + उत:
ईत् + ऊतो:
11
1
=
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11=
=
एरदीतो ( सूत्र - 3 / 84 )
उत् + तौ
= catat (ga-3/27)
क्वचित् + द्वितीयादेः = क्वचिद्वितीयादे: (सूत्र - 3 / 134 )
ईत् + मिस्
ईद्भिस् ( सूत्र - 3 /54 )
प्राक् + दीर्घा
प्राग्दीर्घा (सूत्र - 3 /26)
= डेरदादिदेद्वा (सूत्र - 3 / 29 )
इदुत: (सूत्र-3/16)
तो : (सूत्र - 3 / 42 )
यदि त् के आगे च हो तो पूर्ववाला त् भी च् हो जाता है= राजवच्च (सूत्र - 3 /56)
राजवत्+च्
=
पर श्राव हो जाता
पदान्त म् के आगे कोई व्यञ्जन हो तो म् का अनुस्वार ( - ) हो जाता हैङसांणो (सूत्र - 3/50)
ङसाम् + णो
आम्भ्याम् + से
= आम्भ्यां से (सूत्र - 3 / 81 )
-
यदि त् के श्रागे अनुनासिक (म्) हो तो त् का न् हो जाता है= स्वरान्म् (सूत्र - 3 / 25)
स्वरात् + म्
10. यदि त् के आगे ड् हो तो त् का ड् हो जाता है
वधात् + डाइ
वधाड्डाइ (सूत्र - 3/133)
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ]
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