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स्वर सन्धि
1.
यदि इ उ के बाद भिन्न स्वर श्र, श्रा, ए आदि भावे तो इ के स्थान पर य् और उ के स्थान पर व् हो जाता है
2.
3.
4.
i 1
नाम्नि + अरं
सि+आदौ
शसि + एव
दु + श्रमि
सणाणोषु + अण्
परिशिष्ट-1
सूत्रों में प्रयुक्त सन्धि-नियम
यदि श्र
श्री के बाद
=
न + प्रत
वा + अदसो
इणममा + श्रामा
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यदि श्र, श्रा के बाद इ अथवा ए आवे तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ए, ऐ हो जाता है
---
म्मावय + इ
अमा+इरणम्
बा+एस
वा + एतदो
= शस्येत् (सूत्र - 3 / 14 )
द्वामि (सूत्र - 3 / 12 )
सरगाणोष्वण् (सूत्र - 3 / 55 )
=
=
नामन्यरं ( सूत्र - 3 / 40 )
यादी (सूत्र- 3/45)
=
-
=
यदि श्र, श्रा के बाद उ प्रावे तो दोनों के स्थान पर प्रो हो जाता है
W
तुम्ह + उह
वा + उत:
= वैस ( सूत्र - 3/85 )
=
म्मावये (सूत्र - 3/89)
श्रमेणम् (सूत्र- 3/78)
=
=
तदो (सूत्र - 3 / 82)
होह (सूत्र - 3 / 98)
वोत: (सूत्र - 3 / 21 )
या श्रा आवे तो उसके स्थान पर ना हो जाता है
= नात (सूत्र - 3 / 30)
=
वादसो (सूत्र - 3 / 87 )
इमामा ( सूत्र - 3 /53)
[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरम
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