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(vi) उन्नीस (एगण वीस) से अट्ठावन (अट्ठावण्ण) तक के शब्द ह्रस्व अकारान्त
होते हुए भी स्त्रीलिंग के समान प्रयुक्त होते हैं। इन के रूप वीसा के अनुसार होंगे । वीस इ आदि इकारान्त शब्दों के रूप सठ्ठि के समान समझने चाहिए ----
वीसा (तीनों लिंगों में)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
वीसा (4/448)
वीसा (3/124, 3/4) वीसाउ, वीसाम्रो (3/27)
द्वितीया
वीसं (3/124, 3/5, 3/36) वीसा (3/124, 3/4),
वीसाउ, वीसाप्रो (3/27)
तृतीया
वीसान, वीसाइ, वीसाए। - (3/29, 3/30)
वीसाहि, वीसाहि, वीसाहिं (3/124, 3/7)
चतुर्थी व
वीसा, वीसाइ, वीसाए (3/29, 3/30)
वीसाण (3/124, 3/6), वीसाणं (1/27),
षष्ठी
एंचमी
वीसा, वीसाइ, वीसाए वीस तो, वीसामो, वीसाउ, (3/29, 3/30), वीसाहितो, वीसासुंतो, वीसत्तो. वीसायो, वीसाउ, (3/124, 3/9, 3/127) वीसाहितो (3/124, 3/8, बोसादो, वीसादु (3/124,319) 3/126, 3/127), वीसादो, वीसादु (3/124, 3/8).
सप्तमी
चीसान, वीसा इ; वीसाए (3/29, 3/30)
वीसासु (4/448), वीसासु (1/27) ...
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ
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