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(iv) चउ शब्द के तीनों लिंगों के बहुवचन के रूप निम्न प्रकार से होंगे -
बहुवचन
चत्तारो, चउरो, चत्तारि (3 / 122 )
चत्तारो, चउरो, चत्तारि (3 / 122)
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
उहि चहिं, चउहिं, चऊहि, चऊहिं, चऊहिं
(3/17, 3/124, 3/7,)
चउण्ह, चउण्हं (3/123)
सप्तमी
(v) पंच शब्द के तीनों लिंगों के बहुवचन में रूप निम्न प्रकार से होंगे -
बहुवचन
पंच (4/448)
पंच (4/448)
पंच, पंच, पंचहिं (3 /7)
पंच, पंच ( 3 / 123 )
चउम्रो, चउउ, चउहितो, चउसुंतो (3/124, 3 / 9, 3 / 127 ), चउत्तो, चऊलो, चऊउ, चऊहितो, चऊसुंतो (3/17, 3/124, 3/9, 3/127)
चउसु, चऊसु (3/17, 3 / 16), चउसुं, चऊसुं (1 / 27 )
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पंचतो, पंचाओ, पंचाउ, पंचाहि, पंचाहितो, पंचासुंतो, पंचेहि, qafgat, qagat (3/124, 3/9, 3/13, 3/15)
पंचसु (4/448), पंचसुं (1 / 27), पंचे 1
सप्तमी
छः से लेकर अट्ठारह तक के संख्यावाची शब्दों के रूप 'पंच' की भांति होते हैं ।
1. पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 654 1
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ]
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