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(ii) दु/दो/वे शब्द के तीनों लिंगों के बहुवचन के रूप निम्न प्रकार से होंगे -
प्रथमा
द्वितीया
बहुवचन दुवे, दोण्णि, वेण्णि, दो, वे, दुण्णि, विण्णि (3/120) दुवे, दोण्णि, वेण्णि, दो, वे, दुण्णि, विण्णि (3/120) दोहि, दोहिं, दोहिं, वेहि, वेहिं, वेहि (3/119, 3/124, 3/7) दोण्ह, वेण्ह, दोण्हं, वेण्हं, दुण्ह, दुण्हं (3/119, 3/123)
तृतीया चतुर्थी व षष्ठी
पंचमी
दुत्तो, दोश्रो, दोउ, दोहितो, दोसुतो, वित्तो, वेप्रो, वेउ, वेहितो, वेसुंतो (3/119, 3/124, 3/9, 3/127) दोसु, वेसु (3/119, 4/448), दोसुं, वेसुं (1/27)
सप्तमी
(iii) ति शब्द के तीनों लिंगों के बहुवचन में रूप निम्न प्रकार से होंगे
प्रथमा
द्वितीया
बहुवचन तिणि (3/121) तिण्णि (3/121) तीहि, तीहि, तीहिं (3/118, 3/124, 3/7) तिण्ह, तिण्हं (3/118, 3/123)
तृतीया चतुर्थी व षष्ठी
पंचमी
तित्तो, तीनो, तीउ, तीहितो, तीसुतो (3/118, 3/124, 3/9, 3/127) तीसु (4/448), तीसं (1/27)
सप्तमी
1561
। प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ
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