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प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
सतमी
सम्बोधन
एकवचन
अप्पो, तो (3/2)
पं, अत्तं (3/5)
प्रादं1
प्प / प्रत ( श्रात्मा )
(अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप )
अप्पेण, अत्तेण (3/5, 3 / 14),
अप्पे, अत्तेणं (1/27)
अप्पस्स, अत्तस्स
(3/10)
अप्पत्तो, अप्पा, अप्पाउ,
पाहि पाहतो, अप्पा, अत्तत्तो, अत्ताप्र, अत्ताउ, प्रत्ताहि, अत्ताहितो, प्रत्ता (3/8, 3/12, 1/84)
पादो,
पादु प्रत्तादो, प्रत्तादु ( 3 / 8)
अम्मित्तम्मि, अप्पे, ते ( 3 / 11) प्रादहि
हे अप्प, हे अप्पा, हे अप्पो, तता, हे प्रत्तो
(3/38)
1. समयसार, गाथा - 31 |
2. समयसार, गाथा - 203
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ]
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बहुवचन
अप्पा, अत्ता (3/4, 3/12)
अप्पा, अत्ता (3/4, 3/12),
अप्पे, प्रत्ते (3/4, 3 / 14 )
पे, अप्पे, पेहिं, अत्तेहि, अत्तेहि, अत्ते हिं (3/7, 3/15)
अप्पाण, प्रत्ताण (3/6, 3/12), पाणं, प्रत्ताणं (1 /27 )
अप्पत्ती, अप्पा, अप्पाउ, पाहतो, अप्पासुंतो प्रपेहि, अप्पे हितो अप्पे सुंतो प्रत्तत्तो, अत्तानो, अत्ताउ, अत्ताहितो, प्रत्तासुंत्ती, प्रत्तेहि,
हितो, प्रत्तेसुंतो (3/8 3/12, 3/13, 3/15, 1/84) श्रपादो, श्रप्पा, प्रत्तादो, (3/9)
प्पे, प्रत्सु ( 3 / 15 ), अप्पे, अत्तेसुं (1/27)
पत्ता
(4/448)
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अतादु
[ 99
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