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अप्पारण (प्रात्मा)1 (अकारान्त पुल्लिग की तरह रूप)
एकवचन
प्रथमा
अप्पाणो (3/2)
द्वितीया
अप्पाणं (315), आयाणं
बहुवचन अप्पाणा (3/4, 3/12) अप्पाणा (3/4, 3/12), अप्पारणे (3/4,114) अप्पाणेहि, अप्पाणेहि, अप्पाणेहि (3/7, 3/15)
तृतीया
अप्पाणेण (3/5, 3/14), अप्पारणेणं (1/27)
चतुर्थी व षष्ठी
पंचमी
अप्पाणस्स (3/10)
अप्पाणाण (3/6, 3/12),
अप्पाणाणं (1/27) अप्पारणत्तो, अप्पाणाप्रो, अप्पाणत्तो, अप्पाणाम्रो, अप्पाणाउ, अप्पाणाहि, अप्पाणाउ, अप्पाणाहि, अप्पाणाहितो, अप्पारणा अप्पाणाहितो, अप्पाणासुंतो, (3/8, 3/12, 1/84) अप्पाणेहि, अप्पाणेहितो, अप्पाणादो, अप्पाणादु अप्पाणेसुंतो (3/9, 3/12, 2/13, (878)
3/15)
अप्पारणादो, अप्पाणादु (39) अप्पाणम्मि, अप्पाणे (3/11), अप्पाणेसु (/15), आयाणे
अप्पाणेसुं (1/27) अप्पाणम्हि, अप्पाणंसि
सप्तनी
सम्बोधन
हे अप्पाण, हे अप्पाणा, हे अप्पाणो (/38)
हे अप्पाणा (4/448)
1. देखें सूत्र संख्या 3/561 2. प्राकृत भाषा का व्याकरण, पिशल, पृष्ठ-584 । . 3. प्राकृत भाषा का व्याकरण, पिशल, पृष्ठ-586 ।
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ
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