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अप्प, प्रत्त (प्रात्मा)1 (अकारान्त पुल्लिग से भिन्न रूप)
बहुवचन
प्रथमा
एकवचन अप्पा, अत्ता (3/56, 3/49) प्रादा, प्राया३, आता, चेदा
अप्पाणो, अताणो (3/50, 3/12)
द्वितीया
अप्पाणो, अत्ताणो (3/50, 3/12)
तृतीया
अप्पणा, अत्तणा (3/56, 3/51) अप्पणइमा, अत्तरगइया, अप्पणिमा, अत्तणिमा (3/57)
चतुर्थी व षष्ठी
अप्पणो, प्रत्तणो (3/50)
पंचमी
अप्पाणो (3/50, 3/12)
सप्तमी
सम्बोधन
हे अत्ताणो (4/448)
1. देखें सूत्र संख्या 3/561 2. समयसार, गाथा, 1-26-26 । 3. प्राकृत भाषा का व्याकरण, पिशल, पृष्ठ 584 । 4. पाचरांग सूत्र-171 । 5. समयसार, गाथा, 3-50-118 । 6. हेम प्राकृत व्याकरण, द्वितीय भाग, सूत्र 3/56 की वृत्ति ।
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[ प्रौढ प्राकृत रचना सौरम
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